भारत की रचना - 6

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भारत की रचना / धारावाहिक / छटवां भाग दूसरा दिन रविवार था। छुट्टी का दिन-काॅलेज बंद- मुक्तेश्वर के मुख्यतः सब ही बाजार बंद थे। अभी सुबह की मधुर उषा में प्रातः की चिड़ियों ने चहकना और बोलना आरम्भ ही किया था, अस्पताल के अधिकांशतः मरीज अभी भी उनींदा हालत में थे, परंतु फिर भी अन्य कर्मचारियों और बाहर के आने वाले लोगों की हल्की चहलकदमी आरंभ हो चुकी थी। रचना भी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। वह जाग तो रही थी, परंतु फिर भी जैसे सोई-साई-सी अवस्था में ही थी। तभी राॅबर्ट जार्ज ने उसके वार्ड में प्रवेश किया।