हमराही - सच्चा साथी

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1.1)साथ हैं फिर भी दूर कितने हैं कितने प्यासे ये दो किनारे हैं2)बनके बादल जो मुझपे छाए हैं रेशमी ज़ुल्फ़ के ॲंधेरे हैं3)दें कहाॅं हम ख़िलाफ़ में अर्ज़ी क़ातिलाना तेरे इशारे हैं4)कुछ तो जादू है तेरे गीतों में होश मेरा ये छीन लेते हैं 5)सुरमई शाम के हसीं साए हमको कितना क़रीब लाए हैं 6)भूल कर भी ख़फ़ा न होना तुम हम तुम्हारे बिना अधूरे हैं7)याद आया जुदाई का मौसमअश्क़ ऑंखों में फिर से छलके हैं8)भीड़ हो या कभी हो तन्हाई हम सनम तुझमें खोए रहते हैं 9)फिर वही मैं हूॅं फिर वही 'सीमा' आज भी हम तेरे दिवाने हैं