POEM

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कुछ पल   कभी-कभी कुछ पल मन को, बहुत दूर ले जाते हैं परिचित सी मधुर आवाजों से, मीठा अहसास कराते है। दिल करता हैं यूं ही सैर करते, बहुत दूर निकल जाऊं मैं, भागम-भाग के दौर से, कही उन्ही दिनों मे खो जाऊं मैं। वही खनकती हंसी-हंसाकर, रोम-रोम गुद गुदाते है। कभी-कभी कुछ पल मन को बहुत दूर ले जाते हैं।।   दिल करता हैं सोया रहूं, उन जुल्फों की छावो मे यूहीं कही, बस जाऊं सदा के लिये, उन पलको के साये मे यूंही वही। वो अल्हड़, वो बेपरवाह, वो आवारा सा लम्हा, काश! पलटकर आ जाये, लापरवाह