चचा ने अपना वही जूता जो उन्होंने चरणनंदन को फेंक के मारा था, उसे जल्दी से लपक के ले आए ! और फिर क्या हुआ ?फिर उन्होंने ना आव देखा न ताव लगे चरणनंदन पर बरसाने वह इतने ज्यादा गुस्से में थे ! इस वक्त उन्हें अपने गुस्से के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था ! इसीलिए उन्हें जो समझ आ रहा था उसी से वह चरणनंदन को मारे जा रहे थे! लात, (पैर ) हाथ, जूता इन सभी से ! और वहीं चरणनंदन लगातार दर्द से चिल्लाए जा रहा था ! "अरे चचा आज छोड़ दो हमको