शिवा का सच

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मनुष्य जीवन भर अनंत इच्छाओं के मकड़जाल में फंस उनकी चाहत में रेगिस्तान के मृग की प्यास की तरह जिंदगी के रेगिस्तान में भागता रहता है जीवन के अंतिम घड़ी तक उसकी उम्मीद अपनी अनंत इच्छाओं की प्राप्ति के लिये प्रायास करती रहती है और पता नही कब जिसके लिये तमाम प्रायास करती हैं उसे छोड़कर चल देती है सारी दुनियादारी एव दुनियां यही रह जाती है यही सच्चाई है जिंदगी की व्यक्ति जीवन की अन्यन्य चाहतों को यही छोड़ जाता है और वर्तमान से भूत हो जाता है इसिलिये कहा जाता है कि अतृप्त जीवन त्यग भूत होती है