धर्मबीर भारती की काल जयी कृति कनुप्रिया-----कनुप्रिया यानी कृष्ण की प्रिया यह रचना नारी मन की संवेदनशीलता की परम शक्ति राधा की अनुभूतियों की गाथा है साथ ही साथ नारी अन्तर्मन की गहराईयों एव परतों को खोलती नारी मन संवेदनाओं की नैसर्गिकता का सौंदर्य वर्णन है ।। सन 1959 में प्रकाशित कनुप्रिया के अब तक 10 से अधिक संस्करण प्रकाशित हो चुके है कनुप्रिया को एक खंड काव्य कहना उचित होगा कनुप्रिया पर किसी वर्ग काव्य को प्रमाणित परिभाषित नही किया जा सकता है ।।1-नारी की संवेदना---राधाकृष्ण की प्रेम गाथा शाश्वत सत्य की निरंतरता प्रबाह है इसका ना तो कोई