नशा या नाश का मार्ग - भाग तीनमदिरा, शराब ,वाइन ,लीकर,दारू समय के साथ साथ बदलते नाम लेकिन प्रकृति में कोई बदलाव नही मदिरा महाराज,यानी राजा मतलब सपन्न व्यक्ति के लिये हो सकता है शक्ति,राज्य ,बैभव के अधीन ही मदिरा का रहना सेवन कुछ हद तक स्वीकार्य हो सकता है ।शराब शौख है,मदिरा महत्व है वाइन प्रकृति कि अनिवार्यता है लीकर दारू विनाश का रास्ता है भारतीय धर्म मे मदिरा का सेवन वर्जित है माना जाता है कि यह विनास कि जननी है यदुवंशियों का विनाश वारुणी के मद में ही हुआ दुर्वासा के श्राप से समुद्र के जल ही