बन्धन प्यार का - 12

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पार्क के अंदर भीड़ बढ़ती ही जा रही थी।सन्डे को और दिनों के मुकाबले सार्वजनिक और पर्यटन स्थल पर ज्यादा ही लोग आते है।छुट्टी के दिन का पूरा लुत्फ लेते है।मस्ती और खुशी का इजहार करते है।पार्क में नरम हरी घास पर खिली धूप में बच्चे खेल रहे थे।उछल कूद रहे थे।जगह जगह जोड़े बैठे प्रेमालाप में मशगूल थे।चहल कदमी करते करते नरेश, हिना से बोला,"चलो उधर चलकर बैठते हैऔर हिना, नरेश के साथ एक पेड़ के नीचे आ गई।दोनों नरम हरी घास पर बैठ गये थेनरेश, सामने बैठी हिना को निहारने लगा"ऐसे क्या देख रहे हो"तुम्हे"मुझे क्यो"तुम कितनी सुंदर