चरणनंदन का अभिनंदन - 1

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ये मेरी पहली कहानी है! मातृभारती पर! अगर कोई भी गलती हुई हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ ! गुटखा चबाते हुये बड़े ही स्टाईल से जब चरणनन्दन ने घर में प्रवेश लिया तभी अचानक से उसके सिर पर एक प्लास्टिक का सख्त मटमैला जूता आकर "ठक" की आवाज से लगा और "धडाक" की आवाज के साथ ही चरणनन्दन के चरणों के पास गिर गया। इतना कांड होने के बाद चरणनन्दन कुछ सोच पाता तब तक घर के अंदर से फटे ढोल सी आवाज उसके कानो से टकराई जो कुछ इस प्रकार थी " का रे आ गए तुम, तुमको कोनों