छू लेने दो

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और वह लाख प्रयास करने के बाद भी कुछ लिख नही पाया था।उसे हर सप्ताह एक कहानी अखबार को देनी होती थी।एक सीरीज वह लिख रहा थाजिंदगी के आस पासइसके के लिए हर सप्ताह एक नए विषय पर एक कहानी उसे देनी होती थी।जो अखबार के सन्डे एडिशन में छपती थी।शुक्रवार हो गया था।सम्पादक का फोन भी आ चुका था।पर उसे लिखने के लिए कोई मसाला ही नही मिल रहा था।स्मादक का आग्रह था कुछ अलग हटके हो।इस बार की कहानीभेजने का था।उसकी कहानी को पाठक खूब पसंद भी कर रहे थे।जब वह काफी प्रयास करने के बाद भी कोई