अंतर्मन अर्थात अपने मन की वो असीम गहराई जहां हित, नात , यार, मित्र, समाज, रिश्ते नाते, कार्य, प्रतिभा, विशेष कला, स्वार्थ, साम, दाम, लोभ, दंड, भेद इत्यादि सब से परे जा कर एकाग्रचित हो कर अपनी आत्मा से आत्म-साक्षात्कार करना या कहें खुद को खुद से जानना, यही है अंतर्मन। मुझे महसूस हुआ पत्रिका या दैनंदिनी आप जो भी महसूस करें... तो अपनी आत्मा के भावों को मैं आदरणीय श्रद्धेय स्व. अटल जी की स्मृति को ध्यान मे रखते हुए इसे लिखना आरंभ करूंगा। इसमे कई लेख मेरी डायरी से निकलेंगे या फिर नित नूतन विचार होंगे। मुझे मात्र