हास्य का तड़का - 44

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*सुबह-सुबह, एक सीधा-सादा " बिहारी सब्जी वाला " मोहल्लें में घुम-घुम कर सब्जी बेचता हैं...**बहुत सी महिलाएं उससे उधार लेती वो चुप चाप दे देता और अपनी कॉपी में लिख लेता हैं...**किसने, कितने का उधार लिया...?**आश्चर्य की बात यह थी कि वह नाम किसी का नहीं जानता था..**फिर भी वो कॉपी छुपकर देखता और बता देता था कि किसका, कितना पैसा बचा है।* *एक दिन उसकी नजरों से छिपाकर उसकी कॉपी कुछ महिलाओं ने गायब कर ली....**देखी तो पसीना आ गया....**लिखा था....**बिलईया 20 रुपिया**नकचिपटी 18 रु**चितकबरी 15 रु**अप्सरा 90 रु**मोटकी 40 रु**सँवरकी 20 रु**पतरकी 10 रु**भैंसिया 22 रु**कुकुर वाली 50