अपनी इस आत्मकथा में ढेर सारे नायक- नायिकाएं और खलनायक -खल नायिकाएं भी हैँ, विदूषक भी। उनका अगर उल्लेख करूंगा तो यह आत्मकथा विशाल रूप ले लेगी। लेकिन उन्हें छोड़ा भी तो नहीं जा सकता है!बहरहाल इस समय मैं एक बहुत ही उम्दा, गायकी का एक नायाब हीरा राहत अली की बात करना चाहूंगा। जब स्व.नित्यानंद मैठाणी ने वर्ष 2009 में संगीत की दुनिया में मसीहा बनकर उभरे राहत अली साहब पर किताब लिखने की योजना बनाई तो मैं आकाशवाणी लखनऊ में ही कार्यरत था |बीसवीं सदी के आठवें और नौवें दशक में ‘ग़ज़लों के बादशाह’ के रूप में राहत