नाभदास जी - भक्तमाल के रचियता श्री नाभादास जी

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श्रीनाभाजी का जन्म प्रशंसनीय हनुमान-वंश में हुआ था। आश्चर्यजनक एक नयी बात यह जानिये कि ये जन्म से ही नेत्रहीन थे। जब इनकी आयु पाँच वर्ष की हुई, उसी समय अकाल के दुःख से दुःखित माता इन्हें वन में छोड़ गयी। माता और पुत्र दोनों के लिये यह कितनी बड़ी विपत्ति थी । इसे आप लोग सोचिये। दैवयोग से श्रीकोल्हदेव जी और श्रीअग्रदेवजी — दोनों महापुरुष उसी मार्ग से दर्शन देते हुए निकले। बालक नाभाजी को अनाथ जानकर जो कुछ दोनों ने पूछा, उसका उन्होंने उत्तर दिया। वे बड़े भारी सिद्ध सन्त थे। उन्होंने अपने कमण्डलु से जल लेकर नाभाजी