महावीर लचित बड़फूकन - पार्ट - 6

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उधर दिन- सप्ताह-महीने बीत गये परन्तु रामसिंह भरसक कोशिश के बाद भी गुवाहाटी में प्रविष्ट नहीं हो सका। उसने कूटनीति से काम लिया। उसने अपने राजदूत के द्वारा लचित को एक पत्र भिजवाया, साथ ही एक थैले में खसखस के दाने भी दिये । पत्र का सारांश था, “अरे बड़फकन, तुम अपने को वीर योद्धा समझते हो तो बाहर मैदान में आकर वीर पुरुष की तरह क्यों नहीं लड़ते ? किले में छिपकर क्यों बैठे हो ? ध्यान रहे, मेरी सेना इतनी विशाल है जितने ये खसखस के दाने । हम तुम्हें कुछ देर में ही समाप्त कर सकते हैं,