श्वपच भक्त वाल्मीकिजी

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श्वपच वाल्मीकि नामक एक भगवान्के बड़े भारी भक्त थे, वे अपनी भक्ति को गुप्त ही रखते थे। एक बार की बात है, धर्मपुत्र राजा युधिष्ठिर ने बड़ा भारी यज्ञ किया। उसमें इतने ऋषि महर्षि पधारे कि सम्पूर्ण यज्ञस्थल भर गया। भगवान्ने शंख स्थापित किया और कहा कि यज्ञ के सांगोपांग पूर्ण हो जाने पर यह शंख बिना बजाये ही बजेगा। यदि नहीं बजे तो समझिये कि यज्ञ में अभी कुछ त्रुटि है, यज्ञ पूरा नहीं हुआ। वही बात हुई । पूर्णाहुति, तर्पण, ब्राह्मणभोजन, दान-दक्षिणादि सभी कर्म विधिसमेत सम्पन्न हो गये, परंतु वह शंख नहीं बजा तब सबको बड़ी चिन्ता हुई