दक्षिण भारत में उदय होनेवाले राजवंशों में चोल राजवंश का प्रमुख स्थान है। इस वंश का उदय नवीं शताब्दी में हुआ तथा इसके अंतर्गत एक विशाल साम्राज्य की स्थापना हुई। इस वंश के पराक्रमी शासकों राजराजा प्रथम एवं राजेंद्र प्रथम ने मालदीप द्वीप समूह तथा श्रीलंका को भी पराजित किया तथा कलिंग व तुंगभद्रा से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। चोलों का शासन साम्राज्य विस्तार के साथ ही साथ नौसैनिक शक्ति के विकास, प्रशासनिक दक्षता एवं स्वायत्त ग्राम प्रशासन के दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है । चोल शासकों का शासनकाल दक्षिण भारत के चरमोत्कर्षं का