पेट डॉग

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व्यंग्य श्वान और मालिक का प्रात: कालीन भ्रमण यशवंत कोठारी रोज़ सुबह इस पोश कोलोनी में घूमने के साथ साथ कई काम एक साथ हो जाते हैं. कचरा फेंक देता हूँ दूध ले आता हूँ, गाय को रोटी दे आता हूँ और घूम भी लेता हूँ. बड़े लोग, बड़े बंगले, बड़ी गाड़ियाँ और छोटे छोटे दिल लेकिन बड़े बड़े पेट्स इनको श्वान या कुत्ता कहना मालिक या मालकिन का अपमान है.  अक्सर मुझे अमिताभ बच्चन की फिल्म का एक डायलॉग याद आता है जिसमे वे एक सुबह घूमने वाले को देख कर कहते हैं –इस गधे के साथ कहाँ जा