मुसद्दी - एक प्रेम कथा - 3

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3️⃣ मुसद्दी के ठेले पर भी विकास दिखा... अब तरबूज के साथ साथ फलो के राजा आम और नारियल (हरा) भी आ गया था । पर ठेला अब भी नीम की शीतल छांव मे रुकता। पड़ोसी आनंदित की निठल्ला सुधर गया और अम्मा खुश कि अब लल्ला जम गयो । इधर लॉक डाउन 3.0 भी आ गया। मुसद्दी फूला नहीं समा रहा था। कम से कम 48°C की तपती दोपहर के तापमान मे प्रेयसी दिख भर जाए, मन स्वयं कालिदास हो जाता है। जिस बखत (वक़्त) मुसद्दी का चारपहिया (ठेला) नीम की शीतल छांव मे रुकता, और मुसद्दी दो घूंट