मैं पवन-पुत्र को प्रणाम करता हूँ, जिनका बल अतुलनीय है, जिनका तन, सूर्य के वर्ण समान सुनहरा है, जो विवेकशील प्राणियों में श्रेष्ठ हैं, जिनमें सभी सद्गुण मौजूद हैं, जो वानरों में श्रेष्ठ हैं, जो राम के प्रिय भक्त हैं। —श्री हनुमत स्तोत्र हनुमान को जैसे ही उनकी शक्तियों का स्मरण करवाया गया, वे तत्काल ऊर्जा से भर उठे और उन्होंने अपना आकार इतना बढ़ा लिया कि उनका मस्तक आकाश को छूने लगा। उनका चेहरा उदय होते सूर्य की भाँति चमक रहा था, उनके बलशाली अंगों में ऊर्जा का संचार हो रहा था और उनके नेत्र ग्रहों की भाँति दमक