घर का ठूठ

  • 4.9k
  • 1
  • 1.4k

घर का ठूठ -घर का ठूठ कहानी कहानीकार के अंतर्मन से उठती संवेदनाओं का साक्षात है संबंधों का मिलना बिछड़ना उनके साथ बिताए जीवन के सुख दुःख के पल प्रहर कि वेदना कहती है घर का ठूंठ । कहानी धर्म, जाति, संप्रदाय से इतर मानवीय मूल्यों को ही जीवन का यथार्थ बताती है।कहानी के मुख्य पात्र है चन्नी ,मलकिता, वन्तो ,इंदर के इर्द गिर्द घूमती है ।कहानी चन्नी के वर्तमान में अतीत कि यादों के आईने में सिक्के के दो पहलुओं कि तरह समाज संबंधों कि दिशा दृष्टिकोण एवं परिणाम का जीता जागता दस्तावेज जो आज भी प्रासंगिक है।कहानी का