मैं तो ओढ चुनरिया 50 जैसे जैसे दिन बीत रहे थे , माँ की घबराहट बढती जा रही थी , ऊपर से पास पङोस के लोगों और रिश्तेदारों ने पूछना शुरु कर दिया था – शादी कब कर रहे हो ? पिताजी सहज भाव से कहते , भाई लङकी जितने दिन अपने पास रह ले , अच्छा है । एक बार शादी हो गई तो हमारे पास कहाँ रह पाएगी । जब मांगेंगे , फेरे कर देंगे । हमें क्या जल्दी है । पर माँ उन लोगों के जाने के बाद खीझ खीझ जाती । अक्सर पिताजी से