जलसतह

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उसके स्टेशन पहुँचते ही बूँदाबाँदी शुरू हो गयी।मॉनसून के साथ ही शहर का मूड जैसे बदल गया।सबके चेहरे खिले हुए लगे।एक मॉनसून ही तो बदलता है मुंबई शहर को, अन्यथा दो ही मौसम हैं यहाँ,गर्मी और बहुत गर्मी,सर्दी का नामोनिशान नहीं।अब अगले कई दिनों तक लगातार यही सिलसिला चल सकता है।वह प्लेटफ़ॉर्म नम्बर दो पर जाने के लिए पुल पर चढ़ रही भीड़ के रेले में शामिल हो गयी।उसका पूरा ध्यान सीढ़ियों पर लगा रहा इसलिए उसे अगल-बगल जूते चप्पलों की भीड़ के अतिरिक्त कुछ और नहीं दिखा।प्लेटफॉर्म पर पहुँचने तक बारिश तेज़ हो गयी लेकिन भीड़ की गतिविधि पर