साथिया - 12

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अबीर ने तुरंत माही को फ़ोन लगाया। " हाँ पापा..!" माही की खनकती आवाज आई। " कैसा है मेरा बच्चा?" अबीर बोले। " ठीक हूँ पापा और आपको बहुत मिस करती हूँ।" माही बोली। " अब भी नाराज है पापा ?" अबीर ने पूछा। " नही पापा ..! अब पुरानी बातें भुला दी मैंने। और आपने भी तो मॉम के खातिर मुझे दिया उनको। दर्द तो आपको भी हुआ होगा न मुझसे दूर होते हुए।" माही बोली। "अपने कलेजे के टुकड़े को दूर करना किसी भी मां-बाप के लिए बहुत ही कष्टदायक होता है बच्चे। पर हमें पता था कि