बिखर गईं उम्मीदें

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बिखर गईं उम्मीदें*********** दीपावली करीब आ रही थी। राघव और उसके बच्चे घर की साफ सफाई में व्यस्त थे। राघव की पत्नी रीता भी उनका हाथ बंटा रही थी। एक दिन राघव ने रीता से कहा- सुनो जी! क्यों न इस बार हम सब छोटे के पास दीवाली मनाने चलें।छोटे और उसके बच्चों से मिलना भी हो जाएगा और शहर में दीवाली की रौनक भी देख लेंगे। देख लो !पता नहीं उन्हें हमारा आना शायद अच्छा न लगे। पत्नी ने चिंता से कहा। व्यर्थ इतना क्यों सोचती हो। वो मेरा बेटा समान भाई है, उसे तो अच्छा ही लगेगा, जब