बँटवारा

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बँटवारा बुधन बँटवारा का नाम सुनते ही आग बबूला हो गए। वो इस तरह बौखला उठे जैसे कि समन्दर में भीषण ज्वार उठा हो और बुधन का काँपता हुआ शरीर सागर की लहरों की अनुभूति कराने लगा। आज उनको अपनी अवस्था पर अफसोस हुआ। चारापाई से उठने की कोशिश की मगर शरीर ने साथ नहीं दिया।पत्नी के स्वर्गवाासी होने कंे दो वर्ष के पश्चात ही लकवा की चपेट में आ गए थे। घर की ढाल बन सहारा देनेे वाला आज खुद सहारा के लिए मोहताज था। वो भी पचास की उम्र में।बुधन जी ने एक सरसरी निगाह से बड़ा बेटा