कुरुक्षेत्र की पहली सुबह - 41

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41.मैं हूं तेरे साथ खड़ा अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा, क्या आप भक्तों के लिए स्वयं भी उतने ही व्यग्र रहते हैं जितना कि भक्तों आपके लिए? श्रीकृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा, "अवश्य अर्जुन!ईश्वर को भी सुपात्र की तलाश होती है। भक्तों की तलाश होती है, जो कृपा के अधिकारी हैं। जो भक्तजन मुझ ईश्वर को निरंतर बिना किसी कामना के आनंद पूर्वक भजते हैं और मुझे प्राप्त करना चाहते हैं , मैं ऐसे निरंतर चिंतन करने वालों को भगवत प्राप्ति की उपलब्धि कराने में स्वयं योग करता हूं और उनके समस्त साधनों की रक्षा का उत्तर दायित्व भी मैं