कुरुक्षेत्र की पहली सुबह - 23

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23.सबमें तू सब जगह अपने स्वरूपको देखने वाला योग से युक्त आत्मा वाला और ध्यान योगसे युक्त अन्तःकरण वाला योगी अपने स्वरूप को सम्पूर्ण प्राणियों में स्थित देखता है। साथ ही वह सम्पूर्ण प्राणियोंको अपने स्वरूप में देखता है।  एक उदारवादी पांडव राजकुमार होने के बाद भी अर्जुन के मन में हमेशा यह बात रहती थी कि संसार के प्रत्येक प्राणी से एक समान व्यवहार नहीं किया जा सकता है। दुर्योधन के नेतृत्व में कौरव पक्ष से मिले गहरे घावों के कारण अर्जुन की यह मान्यता दृढ़ होती जाती थी। वही जब भगवान श्री कृष्ण ने परमात्मा तत्व की सर्वव्यापकता