कुरुक्षेत्र की पहली सुबह - 19

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19.पाएं चिर आनंद आनंद की अनुभूति कभी-कभी ही होती है अर्जुन उसे स्थाई बनाने का उपाय पूछते हैं। श्री कृष्ण जिन उपायों और मार्गों पर प्रकाश डालते हैं, वे आनंद के उसी महास्रोत की ओर संकेत करते हैं।  योग के अभ्यास से निरुद्ध चित्त जिस अवस्था में उपराम हो जाता है। उस अवस्था में चित्त परमात्मा के ध्यान से शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि द्वारा परमात्मा को साक्षात करता हुआ सच्चिदानन्दघन परमात्मा में ही सन्तुष्ट रहता है।  भगवान कृष्ण की दिव्य वाणी को सुनकर अर्जुन चमत्कृत हैं। ईश्वर तत्व को जानने और अनुभूत करने की अवस्था….. और यह अवस्था प्राप्त करने