12:आनंद का सूत्र अर्जुन के कानों में श्रीकृष्ण द्वारा कहे गए ये वाक्य अभी भी गूंज रहे हैं:"जो मनुष्य योग(समत्व की स्थिति) में आरूढ़ होना चाहता है, ऐसे मननशील योगी के लिए कर्तव्य-कर्म करना कारण कहा गया है और उसी योगारूढ़ मनुष्य का शम (शान्ति) परमात्म की प्राप्ति में साधन बन जाता है। " अर्जुन ने जिज्ञासा प्रकट की, "साधक के लिए इस बात का निश्चय कैसे हो कि ठीक मार्ग सीधे योग का है या सांसारिक साधने में प्रवृत्त होते हुए किसी एक बिंदु पर आनंद अवस्था प्राप्त कर लेना है। साधना और व्यवहार का मार्ग इस तरह का