(4) रे मन तू काहे न धीर धरे श्री कृष्ण:विजय रूपी फल में तुम्हारा अधिकार नहीं है। तुम्हारा लक्ष्य युद्ध में सर्वश्रेष्ठ प्रयत्न होना चाहिए, विजय नहीं। इसलिए तुम फल के लक्ष्य को ध्यान में रखकर यह युद्ध मत लड़ो और फल नहीं चाहिए यह सोचकर युद्ध से हटने की सोचो मत। श्री कृष्ण ने घोषित कर दिया कि अर्जुन का अधिकार केवल कर्म में है। फल में नहीं। अर्जुन ने शंका जाहिर की, "कर्म करते समय लक्ष्य का तो ध्यान रहे, लेकिन फल की आशा न रखें। हमें उस कर्म से भी लगाव न हो जाए, जो हम करने