वजूद - 30 - अंतिम भाग

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भाग 30 शंकर के मृत शरीर के पास पहुंंचने के बाद अविनाश ने शंकर के सिर पर हाथ रखा, उसकी आंखों में आंसू आ चुके थे। उसका दिल भर चुका था। उसका दिल तो चाह रहा था वो फूट-फूटकर रोए पर वो ऐसा कर नहीं सकता था। उसने अपनी आंखों से पौछे और फिर उठकर खड़ा हो गया। अब उसने कहा- क्या कोई इसे पहचानता है ? अविनाश खास तौर पर प्रधान गोविंदराम को देखते हुए कहा। क्या हम पास से देख सकते हैं ? इस बार प्रधान ने अविनाश से प्रश्न किया। जी बिल्कुल, आइए। अविनाश ने जवाब दिया।