उजाले की ओर –संस्मरण

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================= नमस्कार स्नेही मित्रों चंदन हर समय दुखी क्यों बना रहता है, मुझे अच्छा नहीं लगता था | मैं उसे समझाती रहती लेकिन उसे महसूस होता कि मैं ऐसे ही उसकी बात को हवा में उड़ा देती हूँ | ऐसा नहीं था, मैं अक्सर उसे समझाती कि उसका नाम तो चंदन है और चंदन का काम है हवा में भी अपनी सुगंध फैलाना | उसे अपने नाम की तरह सबमें सुगंध फैलाकर आनंदित रहना चाहिए लेकिन उसके कण पर जूँ नहीं रेंगनी थी तो रेंगी ही तो नहीं | आज की दुनिया में हर कोई सुख लेना तो चाहता है