गुलदस्ता - 12

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            ६८ सुना है काल की धारा में आदमी के स्वभाव में परिवर्तन आता है फिर भी कुछ आदमियों के हृदय से वीणा की झंकार नही सुनाई देती सितार की धुन उनके देह में नही लहराती मौन गले से , सुरवटों की लडियाँ नही बहती आँखों के पंछी खूषी से नही फडफडाते यह सब देख के उनके जीवन में आनंद मौन हो जाता है कुछ तो अलग बदलाव आया है यह जानकर व्यक्ति के अंदर से एक आवाज गूनगुनाने लगती है वह सुनके संगीत को पता चलता है आदमी बदल सकता है ,और व्यक्ति को