उजाले की ओर –संस्मरण

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================= स्नेहिल नमस्कार मित्रों दिविज बहुत ही प्यारा युवा है | उसने अपने बालपन में क्या खोया ?क्या पाया ?इसका लेखा-जोखा तो पूरी तरह से उसके पास भी नहीं है | जब बालपन से ही परिस्थितियों में से तीरों की बारिश होने लगे तब बालपन रह कहाँ जाता है ? तब तो वह ऐसी शीट बन जाती है जो प्रयास करती रहती है अपने और अपनों के जीवन को बचाने का | बल्कि अधिकतर अपनों की सुरक्षा का | अनायास ही बालपन परिवर्तित हो जाता है प्रौढ़ावस्था में, युवावस्था तो न जाने कहाँ जा छिपती है अँधियारों में | रोशनी