वो माया है.... - 74

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(74) बिस्तर पर लेटी उमा छत को ताक रही थीं। उनकी दोनों आँखों के पोर पर आंसू टिके हुए थे। उनके मुंह से एक आह निकली। दोनों आंसू लुढ़क गए। इसबार दोनों तरफ से आंसुओं की धारा बहने लगी। ऊपर से शांत उमा के अंदर एक तूफान मचा था। यह तूफान एक पल के लिए भी उन्हें चैन नहीं लेने दे रहा था। हर समय उन्हें ऐसा लगता था जैसे कि कोई उनके दिल को मुठ्ठी में भींचकर निचोड़े दे रहा है।वह जबरन अपना मन काम में लगाती थीं। पूरी कोशिश करती थीं कि कुछ पलों के लिए ही सही