फादर्स डे - 41

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लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 41 रविवार -02/01/2000 तरह-तरह की कोशिशें, ईश्वर के समक्ष की गई प्रार्थनाएं, कठिन मन्नतें, विनम्र निवेदन और सौहार्द्र अपीलें....मानसिक प्रताड़ना का कोई अंत नजर नहीं आ रहा था क्योंकि 1999 का साल खत्म होकर 2000 का नवप्रभात उदित हो चुका था परंतु संकेत सूर्यकान्त भांडेपाटील का कोई अता-पता नहीं था। संकेत को आसमान खा गया या जमीन निगल गई? हवा के साथ किसी पंख की भांति कहीं उड़ गया या नीरा के जल के साथ प्रवाहित हो गया? जिस तरह चंद्रमा बादलों की ओट में छिप जाता है ठीक उसी तरह जानबूझकर कहीं छुपा हुआ तो