लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 26 मंगलवार, 07/12/1999 सूर्यकान्त और संजय रात 11 बजे घर वापस पहुंचे। दोनों ही थकान और निराशा से घिरे हुए थे, उन्होंने घर पहुंचकर किसी से भी कोई बात नहीं की। सब उनकी ओर आशाभरी नजरों से देख रहे थे, जो कुछ हुआ उसके बारे में वे जानना चाहते थे। संजय एक कुर्सी पर बैठ गया और मौन तोड़ते हुए बोला, “अपहरण करने वाला पैसा ले गया है।” “संकेत अभी तक वापस क्यों नहीं आया है?” प्रतिभा ने सवाल किया। “वह वापस आएगा.. हो सकता है जहां उसने संकेत को रखा हो वहां तक पहुंचने में