लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 22 सोमवार, 06/12/1999 शिरवळ की सबसे शानदार इमारत-साई विहार इन दिनों घर-घर में सबसे अधिक चर्चा का विषय बनी हुई है। सुबह के 11.30 बजे हैं। भांडेपाटील के घर का टेलीफोन बजता है। पति के निर्देशानुसार प्रतिभा रिसीवर उठाती है। “हैलो...” “पिल्लू पाहिजे न तुला?”( तुम बच्चे को वापस चाहती हो न?) “कोण बोलते?”(कौन बात कर रहा है?) “तुमचा मुलगा माझ्या कड़े आहे...एक तासात एक लाख रुपए द्या...मुलगा संध्याकाळी देतो...”(तुम्हारा बेटा मेरे पास है...एक घंटे के भीतर मुझे एक लाख रुपए दो, बेटा शाम तक वापस मिल जाएगा।) “कुठे पैसे द्यायचे?”(पैसे कहां लाकर देना है?) “पत्ता