लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण 9 सोमवार २९/११/१९९९ सोमवार, तारीख २९ नवेंबर की देर रात और मंगलवार ता-३० मी के आरंभिक घंटों मेन बजी हुई मोबाइल की रिंग से सूर्यकांत पाटिल का दिल एक पल तो धड़कना चूक गया । ‘बोलिए रफीकभाई ....’ ‘भाऊ, इति रात्रिला कोणाला घेऊन येयायचा योग्य आहे का ?’ [भाई इतनी रात को किसी को लेकर आना ठीक हे क्या ?] ‘कुछ गलत नहीं है उसमें । हमारा इरादा नेक है । सवाल मेरे बेटे की लाइफ का है । ‘हम मांफ़ी मांग लेंगे आप फिकर मत करो । कहाँ हो आप ?’ ‘वो देगांव मेन नहीं