नन्हा फरिश्ता

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वाजिद हुसैन की कहानी-मार्मिक उत्तर प्रदेश के तराई में एक छोटा सा इलाका है। यहां अधिकतर सिखों के फॉर्म हाउस है। मजदूरों और कामगारों की अलग बस्ती है। एक झोपड़ी में एक मछुआरा और उसका बेटा रहता था। 'गोलू' तो उसका नाम उसकी मां ने रखा था जो पुकारने से पहले, बेटे को अलविदा कह गई थी। मछुआरा मछली पकड़ने जाता, गोलू झोपड़ी के बाहर चबूतरे पर बैठा अब्बा का इंतिज़ार करता मछली बेचकर लौटने तक। मज़दूरों की बस्ती में दशहरा मेला लगा था। रावण के बड़े से पुतले को देखकर गोलू ने अब्बा से मेले चलने को कहा। अब्बा