उजाले की ओर –संस्मरण

  • 2.3k
  • 919

स्नेहिल नमस्कार मित्रों अचानक ही जब कुछ ऐसा सामने आ जाता है जो चौंका तो देता ही है साथ ही कुछ ऐसे प्रश्न सामने परोस देता है जिनके उत्तर हमें स्वयं के भीतर ही झाँककर लेने होते हैं | सच, अक्सर ऐसा लगता है कि हम कितने भाग्यशाली हैं जो इतने सुख में हैं | हम बड़े मज़ेदार लोग हैं जो दिनों को बाँटने लगे हैं। हम संयुक्त रूप से रहने वाली संस्कृति के लोगों के लिए हर दिन सबको प्यार बाँटने का दिन होता है जिन्हें हमने टुकड़ों में विभाजित कर लिया है। वैसे यह विचार अचानक ही मन