आलेख जीते जी पानी नहीं मरे पर खीर यूँ तो यह कहावत है, लेकिन मन की पीड़ा और आज के बदलते परिवेश में यथार्थ लोकोक्ति और हम सबके लिए आइना है । अपवादों को छोड़कर आज लगभग हर परिवार में यही देखने में आ रहा है। अपने जिन बुजुर्गों की मेहनत, साधना और प्रार्थना की बदौलत हम इतराते हैं, सुख सुविधाओं के लायक बन सके हैं, कुछ करने लायक हो गये हैं, हमारे माता पिता और बड़े अब बुजुर्ग हो चुके हैं जब उन्हें हमारी जरूरत है, हमारे कर्तव्य निभाने का समय आ गया है तब हम जो कर