किस्मत

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बृज घाट से दिल्ली तक का ढाई तीन घंटे का सफर भी मिलन को इतना लंबा लग रहा था, कि 5 मिनट में बस जो सफर तय करती थी, वह बस का सफर उसे आधे घंटे का लग रहा था, क्योंकि उसके पड़ोस में रहने वाली उसके बचपन की दोस्त नेहा की अपनी कॉलोनी में आखिरी दिवाली थी।नेहा के पिता और मिलन के पिता एक ही सरकारी दफ्तर में कार्य करते थे और दोनों को ही सरकारी मकान एक ही कॉलोनी में अलॉटमेंट हुआ था।नेहा के पिता ने अपने गांव का मकान बेचकर दिल्ली में 200 गज जमीन खरीद कर