वो माया है.... - 52

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(52)अपनी बेटी कुसुम की शादी के बाद शंकरलाल ने अपना सारा व्यापार विशाल पर छोड़ दिया था। वह बस अपने और अपनी पत्नी के खर्च के लायक रकम लेते थे। उसके बाद किसी तरह का हिसाब किताब नहीं मांगते थे। विशाल ने भी सबकुछ बहुत अच्छी तरह से संभाल‌ लिया था। ईंट के भट्टे और बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन मैटीरियल के बिज़नेस से अच्छी कमाई हो जाती थी। साथ में विशाल ठेकेदारी का काम भी करने लगा था। उस समय वह अपनी कमाई में से कुछ पैसे घर खर्च के लिए बद्रीनाथ को देता था। बाकी के पैसे भवानीगंज के सरकारी बैंक