नवयुग निर्माण में हमारे सपने

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आलेखनवयुग-निर्माण में हमारे सपने************ हमारे सपने, हमारे विचार हमारी सोच और नव निर्माण। यही है प्रगति का सोपान। युग कहीं से बन कर नहीं आता है,युग का निर्माण उस समय के लोगों की सोच और उसके क्रियान्वयन पर निर्भर है। आदिमयुग से होते हुए आज हम २१ वीं सदी में आ पहुंचे हैं। समय चक्र सतत गतिशील रहता है वह कभी न रुकेगा है न थकेगा, चलता ही रहेगा, अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम समय के साथ चल पा रहे हैं या नहीं। महीयसी महादेवी वर्मा ने अपने एक संस्मरण में लिखा है, "भावना, ज्ञान और