मेहमान

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प्रभाकर विदेश में भारतीय दूतावास का कर्मचारी था वह 15 वर्ष के बाद अपने देश जाने वाला था, इतने वर्षों में विदेश में उसके बहुत से मित्र बन गए थे उसकी अभिलाषा थी अपने विदेशी मित्रों और उनके परिवार के सदस्यों को दिखाने की भारत में सभी धर्मों के लोग एक दूसरे के त्योहार को कैसे मिलजुल कर प्यार मोहब्बत से मानते हैं, और अपने विदेशी मित्रों को भारत लाकर अतिथि देवो भावों का सही अर्थ समझना चाहता था, इसलिए वह अपने दो खास मित्रों और उनकी पत्नियों को अपने गांव की होली दिखाने अपने साथ भारत लेकर आता है।प्रभाकर