शाकुनपाॅंखी - 33 - लौहभित्ति को लौटाना ही होगा

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48. लौहभित्ति को लौटाना ही होगा तुर्क सीमाएँ जब चन्देलों से मिलीं, वे भी खटकने लगे । कुतुबुद्दीन चन्देलों को घेरने चल पड़ा। कालपी के निकट दोनों सेनाएं भिड़ीं पर परमर्दिदेव को लगा कि कालिंजर दुर्ग से युद्ध करना अधिक सुविधा जनक होगा। अपनी सेना को उन्होंने कालिंजर में व्यवस्थित किया। दुर्ग कालिंजराद्रि पहाड़ी पर बना है जिसे सतयुग में रत्नकूट, त्रेता में महागिरि, द्वापर में पिंगालु तथा कलयुग में कालिंजराद्रि कहा गया । पहाड़ी सप्तभुजी हैं तथा दुर्ग में प्रवेश के लिए सात द्वार, सभी उत्तर पूर्व की ओर । पहाड़ी की चोटी पर बने दुर्ग के तीन ओर