शाकुनपाॅंखी - 26 - केवल क्रोध से काम न चलेगा

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36. केवल क्रोध से काम न चलेगा हरिराज और स्कन्द एक घने जंगल में बैठे विचार कर रहे थे। उनके साथ थोड़े से सैनिक थे। शेष को अलग अलग स्थानों पर गुप्त रूप से रहने के लिए कहा गया था। सूचना मिलते ही सब को इकट्ठा होना था। चर्मण्वती का बीहड़ निकट था जिसमें पूरी की पूरी सेना ऐसे गुम हो जाती‌ जैसे कुछ हुआ ही न हो। कोसों लम्बे चौड़े सघन वन में दिन में ही डर लगता । 'गोविन्द और कन्हकुमार को मोहरा बनाया गया है। वे बच्चे हैं, उन्हें इतनी समझ नहीं है कि कुछ सार्थक सोच