शाकुनपाॅंखी - 21 - दिए जले

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29. दिए जले 'कला भारती' से प्रतिष्ठित रानी शुभा देवी ने देखा कि राज प्रासाद गोधूलि होते ही जगमगा उठा । दीपमालिकाएँ सजाई जा रही हैं। दीपोत्सव का हेतु क्या है? उसने कारु से पूछा। 'पता करती हूँ स्वामिनी', कहकर कारु दौड़ गई। शुभा अलिन्द में टहलने लगी । दौड़ती हुई कारु लौटी। कुछ कहने के पहले वह फफक पड़ी, शुभा ने पूछा, "क्या हुआ कारु ।' कारु बोल न पाई । सिसकियां रुक न सकीं। 'स्वामिनी,' बड़ी मुश्किल से कह पाई कि सिसकियाँ फिर तेज़ हो गई। 'कुछ तो बता । बात क्या है? रो क्यों रही है?' शुभा